Holika Dahan 2025:- होली का पर्व भारत में हर्षोल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। होली से एक दिन पहले होलीका दहन का आयोजन किया जाता है, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, होलीका दहन 2025 में 13 मार्च, गुरुवार को मनाया जाएगा।
Holika Dahan
होलिका दहन (संस्कृत: होलिका दहन, होलिका दहन), जिसे होलिका दहनम या छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू त्यौहार है, जिसमें अलाव जलाया जाता है। यह अनुष्ठान बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, जो होली के भव्य उत्सव से पहले होता है, रंगों का त्यौहार जो वसंत के आगमन का स्वागत करता है।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को एक वरदान मिला था जिससे वह आग से बच सकती थी। अपने भक्त भतीजे प्रह्लाद को मारने की कोशिश में, वह उसके साथ धधकती आग में बैठ गई। हालाँकि, उसकी दिव्य सुरक्षा विफल हो गई, जिससे वह नष्ट हो गई जबकि भगवान विष्णु के सच्चे भक्त प्रह्लाद सुरक्षित बच गए। दक्षिण भारत में, इस त्यौहार को काम दहनम के नाम से जाना जाता है, जो भगवान शिव द्वारा कामदेव (प्रेम के देवता) को अपनी तीसरी आँख से भस्म करने की कथा से जुड़ा है। ग्रामीण तमिलनाडु इस अवसर को कामदेव की कहानी के नाटकीय अभिनय के साथ मनाते हैं, जिसके बाद उनके पुतले जलाए जाते हैं।
Holika Dahan Overview
विषय | विवरण |
त्योहार का नाम | होलिका दहन 2025 |
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ | 13 मार्च 2025 (गुरुवार), प्रातः 10:35 बजे |
पूर्णिमा तिथि समाप्त | 14 मार्च 2025 (शुक्रवार), दोपहर 12:23 बजे |
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त | 13 मार्च 2025, रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक (कुल अवधि: 1 घंटा 4 मिनट) |
धार्मिक महत्व | बुराई पर अच्छाई की जीत, आत्मशुद्धि, नकारात्मकता से मुक्ति, कृषि एवं समृद्धि से जुड़ा पर्व |
पौराणिक कथा | भक्त प्रहलाद की भक्ति और होलिका के जलने की कथा |
Category | Trending |
होलिका दहन का धार्मिक महत्व
होलिका दहन का महत्व केवल पौराणिक कथाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता का भी प्रतीक है।
- बुराई पर अच्छाई की जीत: यह पर्व भक्त प्रहलाद की भक्ति और हिरण्यकश्यप की बुराई पर विजय को दर्शाता है।
- आत्मशुद्धि का प्रतीक: होलिका दहन को आत्मा की शुद्धि और मन की पवित्रता के रूप में भी देखा जाता है।
- कृषि और समृद्धि से संबंध: यह त्योहार किसानों के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समृद्धि और अच्छी फसल की प्रार्थना का प्रतीक है।
होलिका दहन 2025 तिथि और समय
होलिका दहन हर साल रंगों वाली होली से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। आइए जानते हैं होलिका दहन 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व।

- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च 2025 (गुरुवार), प्रातः 10:35 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार), दोपहर 12:23 बजे
- होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: 13 मार्च 2025, रात्रि 11:26 बजे से 12:30 बजे तक (कुल अवधि: 1 घंटा 4 मिनट)
डिस्क्लेमर: यह लेख धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न स्रोतों और लोक परंपराओं से संकलित है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इसे अपनी श्रद्धा और विश्वास के अनुसार अपनाएं।
Must Read:- Lohri: Date, History
होलिका दहन की पूजा विधि
होलिका दहन की पूजा विधि पारंपरिक रूप से विशेष रीति-रिवाजों के साथ की जाती है। सही विधि से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- होलिका एवं प्रहलाद की मूर्ति: गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की मूर्ति बनाकर एक थाली में रखें।
- पूजन सामग्री: पूजा के लिए रोली, फूल, मूंग, नारियल, अक्षत, साबुत हल्दी, बताशे, कच्चा सूत, फल और एक जल से भरा कलश रखें।
- भगवान नरसिंह का ध्यान: भगवान नरसिंह का ध्यान करें और उन्हें रोली, चंदन, पांच प्रकार के अनाज एवं फूल अर्पित करें।
- परिक्रमा करें: कच्चा सूत लेकर होलिका की सात परिक्रमा करें।
- गुलाल और जल अर्पित करें: अंत में गुलाल डालकर होलिका को जल चढ़ाएं।
होलिका दहन से जुड़ी मान्यताएं और परंपराएं
- रोग और बाधाओं से मुक्ति: होलिका की अग्नि में पुराने कष्ट और बुरी शक्तियों को भस्म करने की मान्यता है।
- नई ऊर्जा का संचार: इस दिन लोग अपने पुराने दुश्मनी और कलह को समाप्त कर प्रेम और सौहार्द से रहने की शपथ लेते हैं।
- घर में सुख-समृद्धि: होलिका दहन की राख को शुभ माना जाता है और इसे घर में रखने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं।
Also Read:- Maha Shivratri: Fasting Rules
निष्कर्ष
होलिका दहन 2025, बुराई पर अच्छाई की जीत और आत्मशुद्धि का पर्व है। इसकी पूजा सही तरीके से करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन की गई पूजा और अनुष्ठान सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं और जीवन में नई खुशियों का संचार करते हैं।
FAQ’s
होलिका दहन 2025 कब मनाया जाएगा?
होलिका दहन 2025, 13 मार्च (गुरुवार) को मनाया जाएगा।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात 11:26 बजे से 12:30 बजे तक रहेगा।
होलिका दहन क्यों मनाया जाता है?
होलिका दहन अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और भक्त प्रहलाद की भक्ति की याद में मनाया जाता है।
होलिका दहन की पूजा कैसे की जाती है?
गाय के गोबर से मूर्तियां बनाकर, विशेष पूजन सामग्री से पूजा कर, सात परिक्रमा करके और अंत में जल अर्पित कर होलिका दहन की पूजा की जाती है।
होलिका दहन की पूरी कहानी क्या है?
असुर राजा हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को भगवान शिव से एक दिव्य चादर प्राप्त हुई थी, जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी। अपने भाई के आदेश पर, होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई, ताकि उसे भस्म किया जा सके। लेकिन दैवयोग से वह चादर उड़कर प्रह्लाद पर आ गई, जिससे प्रह्लाद सुरक्षित बच गए, जबकि होलिका स्वयं आग में जलकर नष्ट हो गई।
Related Posts:-